अशआर यूँ तो सारे पढ़ लिए मैंने तेरे ,
अल्फाज़ एक दो कह दो तो बात बने है ।
दीदार जाने कब हो रब ही जाने जब हो ,
तसव्वुर में आके न जाओ तो बात बने है ।
मोहब्बत मैंने की है आँखें तो तर ही होंगी ,
थोड़ा तुम भी तर-बतर हो लो तो बात बने है ।
मरते थे तुम पे कब से अब मर ही मिटेंगे ,
यूँ तुम भी जी कर देखो तो बात बने है ।
बदनाम था तो यूँ भी कुछ और हो कर देखूँ ,
कुछ नाम तुम भी कर दो तो बात बने है ।
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंalfaaz ek do keh do to baat baney
जवाब देंहटाएंkya baat...bahut khoob:-)
बेहतरीन पंक्तियाँ
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जवाब देंहटाएंकल 16/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
अच्छा है!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव प्रधान रचना |
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत खूब, बात बनी।
जवाब देंहटाएंवाह ....खूबसूरत अंदाज़
जवाब देंहटाएंबढ़िया ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत खूब 👏👏
जवाब देंहटाएंक्या बात है 👌👌
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