बुधवार, 12 दिसंबर 2012

" तिथियों से परे............"


तुम परे हो ,
तिथियों से ,
रहो सदा ,
'अ-तिथि' बन कर |

बाट जोहूँ ,
आस छोड़ दूं ,
आ जाओ ,
तुम आहट बन कर |

नींद खो जाए ,
चैन बिछड़ जाए ,
आ जाओ तुम ,
ख़्वाब  बन कर |

हो अँधेरा ,
मन भ्रांत हो ,
आ जाओ तुम ,
किरण बन कर  |


तुम परे हो ,
तिथियों से ,
रहो सदा ,
'अ-तिथि' बन कर |

14 टिप्‍पणियां:

  1. वाह बहुत खूब

    अ-तिथि बन कर कम से कम साथ तो बना रहेगा

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  2. तिथियों के बेहतरीन संयोगदिवस पर..क्या खूब रचना प्रस्तुत की है।।।

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