मुख्तसर सी बात थी
मगर इसी बात में तो बात है
भीड़ भरी ज़िन्दगी में
चंद लम्हों की मुलाकात थी
उन लम्हों में बसी साँसे तेरी
हर एक साँस थी धड़कन मेरी
सकुचाती थी हथेलियाँ मेरी
उनमें धड़कती रहीअंगुलियाँ तेरी
वक्त गुज़रा फिर
जिंदगी की शाम हुई
मुड़ कर न देखा
उन लम्हों ने दुबारा।
😊
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