किसी खाली बर्तन,बाल्टी, घड़ा,गगरी,सुराही इत्यादि में पानी भरो तो जैसे जैसे पानी पूरा भरता जाता है ,उस पात्र की आवाज़ बदलती जाती है।
खाली पात्र की आवाज़ कर्कश निकलती है और ज्यों ज्यों वह भरता जाता है ,उसकी आवाज़ गम्भीर और वजनदार होती जाती है।
मनुष्य की भी यही प्रकृति और पहचान होती है। किसी व्यक्ति को जितना कम ज्ञान होता है, उस व्यक्ति की आवाज़ उतनी ही तेज और तीखी होती है। ज्यों ज्यों ज्ञान बढ़ता जाता है वह व्यक्ति शांत और गम्भीर रह कर बात करता है।
सटीक विश्लेषण सर।
जवाब देंहटाएंयह अहान को ज्ञान दे रहे क्या ?
जवाब देंहटाएंउसके पास रह कर भी आपको फुरसत मिल रही प्रवचन देने की । वैसे बात पते की कही है । अहान कह रहा कि आखिर दादू किसके हैं ?
ओह ,!अपने नन्हे अहान वाले अमित जी।मैं तो आज पहचान पाई।बहुत खुशी हुई अमित जी 🙏🙂
हटाएंमेरी पहचान आपने अहान से की।😊
जवाब देंहटाएं