लफ्ज़ लफ्ज़ तेरा बेचैन करता रहा रात भर,
ख़त में लिख दे इन्हें या नज़्म का पहरा कर दे।
ख़त में लिख दे इन्हें या नज़्म का पहरा कर दे।
तकाज़ा दिल का था फिर इल्जाम जुबां पे क्यों,
मौसम बंजर बहुत इन आँखों को अब झरना कर दे।
मौसम बंजर बहुत इन आँखों को अब झरना कर दे।
दीदारे जुनू न रहा कोई बात नही अब 'अमित',
पलकें मचलती है बस इत्ते इल्म का सौदा कर ले।
पलकें मचलती है बस इत्ते इल्म का सौदा कर ले।
दस्तक दें जब कभी सांसें मेरी दिल पे तेरे
लबों से चूम लेना नाम मेरा इत्ता सा वादा कर ले।
लबों से चूम लेना नाम मेरा इत्ता सा वादा कर ले।
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/05/2019 की बुलेटिन, " प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की १६२ वीं वर्षगांठ - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सृजन...
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव भरे शब्दों के साथ
जवाब देंहटाएंNice blog.
जवाब देंहटाएंWhatsapp Web : WhatsApp on your Computer