शनिवार, 14 नवंबर 2015

" बचपन......"


तितलियाँ भी,
खुद अँगुलियों में ,
जहाँ कैद होना चाहे ,
वहां बचपन होता है ।
नींद में जब ,
होंठ मुस्कुराएं ,
वहां बचपन होता है ।
शब्द जहाँ स्वयं ,
तुतलाना चाहें ,
वहां बचपन होता है ।
दूसरे के दर्द से ,
जब आंसू आ जाये ,
वहां बचपन होता है ।
ईद की सिवईयाँ ,
जेब में भर जब ,
रहीम राम को खिलाये ,
वहां बचपन होता है ।

"बचपन की मियाद जितनी , खुशियों की मियाद उसकी दुगनी तिगनी । "

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