तितलियाँ भी,
खुद अँगुलियों में ,
जहाँ कैद होना चाहे ,
वहां बचपन होता है ।
नींद में जब ,
होंठ मुस्कुराएं ,
वहां बचपन होता है ।
शब्द जहाँ स्वयं ,
तुतलाना चाहें ,
वहां बचपन होता है ।
दूसरे के दर्द से ,
जब आंसू आ जाये ,
वहां बचपन होता है ।
ईद की सिवईयाँ ,
जेब में भर जब ,
रहीम राम को खिलाये ,
वहां बचपन होता है ।
वहां बचपन होता है ।
नींद में जब ,
होंठ मुस्कुराएं ,
वहां बचपन होता है ।
शब्द जहाँ स्वयं ,
तुतलाना चाहें ,
वहां बचपन होता है ।
दूसरे के दर्द से ,
जब आंसू आ जाये ,
वहां बचपन होता है ।
ईद की सिवईयाँ ,
जेब में भर जब ,
रहीम राम को खिलाये ,
वहां बचपन होता है ।
बहुत सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, बाल दिवस, आतंकी हमला और ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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