ठीक ठीक तो मुझे याद नहीं ,मै शायद नींद में था पर थोड़ा थोड़ा सुन भी पा रहा था | मेरी श्रीमती जी किसी से फोन पर बात कर रही थी | ये कोई ख़ास बात नहीं है | ख़ास बात यह थी कि बातचीत की विषयवस्तु मै था | यह आभास होते ही थोड़ा मैंने अपनी नींद पर विजय पाने की कोशिश की और तल्लीनता से उनकी एक ओर की बात सुन और दूसरे छोर पर की जा रही बातों का अनुमान लगा आनंदित होने लगा | वैसे पत्नी की बातें चोरी छिपे सुनने का मजा ही कुछ और है |
इनकी बात किसी बहुत पुरानी सहेली से हो रही थी ,जो शायद इनसे विवाह के बाद से नहीं मिली थी | पर इन दोनों लोगों ने एक दूसरे को 'फेसबुक' के जरिये ढूँढ़ निकाला था | काफी देर से इन लोगों की घर परिवार ,ससुराल .मायके की बात होती रही | फिर बात आई कि ,अरे कैसे हैं तुम्हारे 'वो' ,इनकी सहेली ने अपने 'वो' के बारे में पता नहीं क्या बताया हो पर इन्होने जो बताया वो कुछ यूं था |
अरे ! यार ,मेरे ये तो एकदम मस्त हैं | खूब हँसते हैं ,सबको हंसाते भी खूब है | बहुत केयरिंग है ,बच्चों का भी बहुत ख्याल रखते हैं | उनसे तो एकदम फ्रेंडली हैं | अपने दोस्तों में काफी लोकप्रिय तो हैं ही , मेरी सहेलियां भी काफी इम्प्रेस्ड रहती हैं |
ये सब सुनकर शायद इनकी सहेली या तो बोर हो रही थी या ईर्ष्या-डाह से ग्रसित हो रही थी | इस पर उसने फिर कहा ,अरे यार वो सब तो ठीक है | तुम्हारे साथ कैसा रहता है उनका व्यवहार और कितना समय तुम्हे देते है | अरे अपने दोस्तों और बच्चों में तो सभी मस्त रहते हैं | इस पर इन्होने कहा , अरे ये तो बस मेरे पीछे पीछे घूमते रहते हैं | अब तो बच्चे भी बाहर चले गए हैं , दोनों हॉस्टल में है , हम ही दोनों रहते हैं यहाँ, अकेले, और बस ये तो मेरे पीछे पीछे चिपके रहते हैं | मै कभी कभी झल्ला भी जाती हूँ और कहती भी हूँ ,अब तो बड़े बन जाइए | ( अब तक ये जान चुकी थीं कि मै इनकी बात सुन रहा हूँ ) | कभी कभी छुप कर मेरी बाते सुनते रहते हैं और कभी मै जहां भी जाऊ ,वही बिना बताये प्रकट हो जाते हैं | आसपास न भी हों पर ,पर जैसे ही मै याद करती हूँ, आवश्यकता पड़ने पर ,तुरंत उत्पन्न हो जाते हैं |
इस पर भी शायद इनकी सहेली को यह सब रास नहीं आ रहा था । वो बोली कुछ और बताओ न तफसील से उनके बारे में । इस पर ये इतरा कर बोली , अरे यार, यह समझ लो , मेरे " ये" एकदम वोडाफोन के "वो" है।
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि , मेरी तारीफ़ की गई या .......। मै सोचने समझने की कोशिश में था ,तभी कान में आवाज़ आई , उठिए चाय रखी है और मै नींद से जाग चुका था ।
हा हा हा हा, बधाई हो, गुड बुक्स में हैं आप...
जवाब देंहटाएंकुछ पता चला महाराज ... तारीफ़ थी या .... ;-)
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - माँ की सलाह याद रखना या फिर यह ब्लॉग बुलेटिन पढ़ लेना
:-))
जवाब देंहटाएं:-))
जवाब देंहटाएंज्यादा समझने का प्रयास ना करें........
सादर.
क्या बात है, वोडा फोन के वो जी ।
जवाब देंहटाएं:-) समझने वाले समझ गए हैं न समझे वो अनाड़ी है ....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, 'वोडाफ़ोन के वो' :)
जवाब देंहटाएंकाफी बढ़िया !!
मजेदार...समझने वाला समझ गये..ना समझे वो..
जवाब देंहटाएंwaah ...bahut mazedar ....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.. मज़ेदार..
जवाब देंहटाएंइस रूप में खूब प्रसिद्धि पायें !
जवाब देंहटाएंप्रवीन जी के माध्यम से आया आपके यहाँ लेकिन अआनंद आ गया... बधाई हो आपका वो होने के लिए...
जवाब देंहटाएं