किसी भी संख्या (कितनी भी बड़ी क्यों ना हो ) के वर्गमूल के वर्गमूल की उत्तरोत्तर गणना करते जाने पर अंत में ०१ की संख्या प्राप्त होती है |
आश्चर्य की बात है ,किसी भी संख्या के प्रयोग करने पर अंत में मूल ०१ की संख्या ही प्राप्त होती है | भले ही प्रारम्भ में वह संख्या कितनी भी आकर्षक रही हो ,जैसे सभी अंक समान हो ,सभी अंक चढ़ते क्रम में हो या उतरते क्रम में हो ,सम हो ,विषम हो ,सभी के वर्गमूल के वर्गमूल करते जाने पर अंत में ०१ की ही संख्या प्राप्त होती है | चूँकि यह अंको की विशेषता है , अतः सिद्ध हो जाता है कि सभी अंकों का मूल एक समान है और ०१ ही है |
इतनी छोटी सी बात हम सहजता से नहीं समझ पाते कि , यही बात तो मनुष्य जीवन पर भी लागू होती है | किसी का जीवन कितना ही आकर्षक क्यों ना हो ,या अनाकर्षक हो ,व्यक्ति किसी भी जाति , धर्म , समुदाय ,वर्ग या स्तर का हो ,सभी के मूल में उसकी आत्मा ही होती है ,जो सभी की एक समान होती है |
सम्मान ,प्यार एवं महत्त्व उसी आत्मा स्वरूप जीवन को दिया जाना चाहिए | किसी से सम्बन्ध रखते समय यदि हम उसकी आत्मा को ध्यान में रखकर उससे व्यवहार करें ,तभी हम उसके मूल तक पहुँच सकते हैं|वो मूल सभी में एक समान है और वही ईश्वर है |
"सबका वर्गमूल एक है या सभी वर्गों का मूल एक है या शायद वही ईश्वर है |"
क्या दमदार बात कही है।
जवाब देंहटाएंकैलकुलेटर में बहुधा यह प्रयोग करते थे।
जवाब देंहटाएंहमारी टिप्पणी गुम कैसे हो गयी ....चलो कोई बात नहीं .....!
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने सभी वर्गों का मूल ईश्वर ही है ......!
सभी वर्गों का मूल एक है...काश हम ये समझ पाते...अभी कहीं ओशो को पढ़ा...जब सारी दुनिया के इंसानों की फितरत एक है...सबका फिजिक्स एक है...सबकी केमिस्ट्री एक है...तो फिर सबका धर्म भी एक होना चाहिए...पते की बात है...धर्म के अलावा जो कुछ भी है...वो अधर्म है...संप्रदाय कोई भी हो सकता है...परिस्थियों और जन्म के अनुसार...और आज आपने भी वही बात अपने शब्दों में कह डाली...
जवाब देंहटाएंkyaa baat kahi hai aapne...yahi jeevan ka saar tatv hai....jeevan ko samjhe ganit se.....ank bhi kahte hai jeevan ki kahani...waah
जवाब देंहटाएंजीवन का गणित ..
जवाब देंहटाएंशाश्वत सत्य!
जवाब देंहटाएंयही एकमात्र सत्य है !
जवाब देंहटाएंवाह! उत्तम विचार!!
जवाब देंहटाएंwaah
जवाब देंहटाएंबहुत सही सर!
जवाब देंहटाएंसादर
u r writting very well....amit ji
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सुन्दर बात को सरलता से कह देने के लिए.
जवाब देंहटाएंवर्गमूल में छुपा जीवन का मूल ढूंढ लिया आपने।
जवाब देंहटाएंकितनी आसानी से जीवन का गणित समझा दिया..
जवाब देंहटाएंसभी वर्गों का मूल एक है ... गहरी बात ...
जवाब देंहटाएंआप की रचना बड़ी अच्छी लगी और दिल को छु गई
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर रचनाये मैं बड़ी देर से आया हु आपका ब्लॉग पे पहली बार आया हु तो अफ़सोस भी होता है की आपका ब्लॉग पहले क्यों नहीं मिला मुझे बस असे ही लिखते रहिये आपको बहुत बहुत शुभकामनाये
आप से निवेदन है की आप मेरे ब्लॉग का भी हिस्सा बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.com/
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
bahut hi behtareen socio mathematical analysis..........
जवाब देंहटाएंअब फ़िर से गणित पढ़ी जा रही है! वाह!
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
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आज 15/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
गहरी सोच ! अधभूत विचार !
जवाब देंहटाएंआभार !
utkrisht vichar ...abhar.
जवाब देंहटाएंyahi hai sashvat satya
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