मंगलवार, 19 अक्टूबर 2010

"एक महकमा बिजली का"

                       असतो मा सदगमय॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय॥ मॄत्योर्मामॄतमगमय॥
             अंधेरे और उजाले में बहुत व्यापक अंतर है। एक नन्ही सी प्रकाश की किरण मीलों दूर तक अंधियारा हर लेती है।तमस असत्य और मॄत अवस्था का परिचायक माना गया है,इसीलिये ईश्वर से मनुष्य प्रार्थना करता है कि उसे सदैव वह मार्ग दिखाई पड़े, जिस पर चल कर वह सच्चाई और ज्ञान  की ज्योति पा सके।मनुष्य ने विज्ञान  की दुनिया में सबसे बड़ा चमत्कार बिजली के आविष्कार के रूप मे ही किया है।शनैः शनैः बिजली हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की सूची में पहले स्थान पर कब आ गई, पता ही नही चला।बिजली की विशेषता है कि  वह खुद तो नही दिखाई पड़ती, पर उसी की वजह से सब कुछ दिख पाना संभव हो पाता है। इसका निर्माण  एक जटिल प्रक्रिया है। चूंकि आम आदमी इसके उपयोग से इतनी सरलता से घुलमिल गया है कि उसे इसकी जटिलता एवं गंभीरता का एहसास नही हो पाता है। इसके उपयोग मे इतनी भिन्नता है कि  कहीं ये चिराग रोशन करती है तो कहीं लोहा पिघलाती भी है और कहीं  लोहा काटती  है और लोहा जोड़ती भी है और चिकित्सा के क्षेत्र मे तो इसने ना जाने कितने आयाम छू लिये हैं।
                   इतने जटिल और संवेदनशील विषय "बिजली" को बनाने और सबको मुहैया कराने का काम करने वाला विभाग निश्चित तौर पर एक महत्वपूर्ण महकमा ही होगा और उसमे काम करने वाले भी यकीनी तौर पर काबिल और संवेदनशील भी होने चाहिये। काबिलियत तो किताबी तौर पर हासिल हो जाती है पर जो आपसे अपेक्षा करता है उसके प्रति  संवेदना रखना, यह महसूस करने से ही हासिल हो सकता है।गांव में और कहीं कहीं शहर में आज भी शाम को बत्ती जलने पर लोग दोनो हाथ जोड़ कर प्रणाम करते है,किसी अमुक के आने पर यदि तुरंत बत्ती बंद हो जाय तो उसे मनहूस करार दिया जाता है।यह सारी जानी समझी बातें करने का केवल इतना सा मकसद है कि जो लोग इस महकमे मे काम करते हैं उन्हे एहसास हो कि  उनके काम से कितने विशाल समुदाय के लोग कितनी दूर तक प्रभावित होते हैं।
                     बिजली से होने वाली घातक दुर्घटनायें बहुत ही गंभीर विषय है,ऐसा लगता है कि यह महकमा बिजली का तंत्र नही बल्कि   electric crematorium चला रहा है।इस पर ध्यान देने की ही नही, अपितु सभी को संवेदनशील होने की आवश्यकता है,कोई भी दु्र्घटना ऐसी नही होती जो टाली जा सकने वाली ना रही हो,लोगों मे जानकारी का अभाव भी अक्सर इसक कारण बनता है।किसी काम को ईमानदारी से करने की वजह केवल वेतन,प्रोमशन,दबदबा अथवा सामाजिक प्रतिष्ठा ही नही होनी चाहिये,अपितु संवेदनशीलता भी एक मुख्य कारण होना चाहिये। आपके कर्तव्यबोध से अपरोक्ष रूप से तमाम उन लोगों का भला होता है जो आपसे उम्मीद रखते हैं और यह तो बिना फ़ौज़ की नौकरी मे रहते हुये यह देश सेवा भी है।
                   वर्तमान संसाधनो एवं परिस्थितियों मे ही रहते हुए हम बेहतर आउटपुट दे सकते है,जरूरत केवल इस बात को स्मरण रखने की है "तमसो मा ज्योतिर्गमय" की आशा लोग इसी महकमें को ही ध्यान मे रखकर करते हैं।और ऐसा करने पर यही महकमा बिजली का, महक उठेगा लोगों के दिलों की रोशनी से।
                  "शुभ दीपावली"

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