"बस यूँ ही " .......अमित

"शब्द भीतर रहते हैं तो सालते रहते हैं, मुक्त होते हैं तो साहित्य बनते हैं"। मन की बाते लिखना पुराना स्वेटर उधेड़ना जैसा है,उधेड़ना तो अच्छा भी लगता है और आसान भी, पर उधेड़े हुए मन को दुबारा बुनना बहुत मुश्किल शायद...।

मंगलवार, 24 अक्टूबर 2023

एक पाती....


 

amit kumar srivastava पर 10:34:00 pm 2 टिप्‍पणियां:
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