और बहुत तेज़ जब हो ही जाये बारिश तो फिर दोनों हथेली ऊपर कर भीगने का ही दिल करता है।
"बारिश मोहब्बत की दूसरी स्पेलिंग ही तो है।"
बारिश में नदी किनारे यह समझ नही आ रहा था कि बादल बरस कर नदी से मिल रहा है या नदी बारिश की बूंदों के सहारे बादल से मिलने की गुहार लगा रही है।
"परस्पर प्रेम में प्रवाह की दिशा और गति का आकलन सम्भव नही होता।"
दो दिलों के दरमियानी फ़ासले दिनों,महीनों,सालों के हों तो भी तय हो जाते हैं पर अगर यह फ़ासले मौसमों के हो जायें तो फिर तय नही हो पाते।
बारिशों का मौसम खतम न हो जाये , हो सके तो फासले तय कर लेना।
"....क्योंकि मौसमों की दहलीज पर ही किस्से फ़ना होते है अक्सर।"
गर आसमान के कोने दिखते तो उन्हें खींच चारों ओर से जमीन पर खूंटे से बांध कर एक तम्बू बना लेता।
फिर अपनी खुद की एक बारिश होती और बादल भी।
पर बादल और बारिश किसी एक के कहाँ होते है।
फुहार सी बारिश बहुत शानदार होती है, तन नही भीगता इसमें पर मन भीग जाता है।
झिसिर झिसिर बारिश होती है ,लगातार पानी गिरता है इसमें मन ऊब जाता है।
तड़पड़ तड़पड़ बारिश होती है आवाज के साथ और जल्दी ही खत्म, इसमें न मन भीगता है और न तन।
एक बारिश होती है मूसलाधार यानी मोटी मोटी बारिश , इसमें मन मे किसानों के लिए हर्ष होता है कि उनकी मुराद पूरी हो रही।
प्रकृति की इस व्यवस्था में कभी कभी जब उथल पुथल होती है तब बारिश बनने से पहले ही बादल फट जाते हैं। जैसे मन फट जाता है न किसी के व्यवहार से और फिर अंत की कामना होती है वैसा ही दुःख और प्रलय आता है बादल के फटने से।
बारिश में इतनी विभिन्नताएं है और उसको नापते है मिलीमीटर में। इतनी छोटी इकाई से इतने व्यापक स्वरूप का आभास और एहसास इस मिलीमीटर से बनता नही।
"बारिश और मोहब्बत का कोई भी पैमाना न्यूमेरिकल
वैल्यू में नही हो सकता।"