tag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post6793251997747349973..comments2024-02-17T14:31:07.181+05:30Comments on "बस यूँ ही " .......अमित: " अक्वारेजिया................." amit kumar srivastavahttp://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-15674158817382325272013-05-13T22:52:57.617+05:302013-05-13T22:52:57.617+05:30मेल द्वारा प्राप्त टिप्पणी :
अमित जी,
नमस्कार !
...मेल द्वारा प्राप्त टिप्पणी : <br />अमित जी,<br />नमस्कार !<br /><br />मुझे तो लगता है, जो सबसे इम्पोर्टेन्ट बात होती है उसे अंडरलाइन किया जाता है। अब हिन्दुस्तानियों के लिए उनकी नाक से बढ़कर क्या होता है भला :) इसलिए उसे अंडरलाइन करना ज़रूरी है :)<br />इन दिनों अपने घर से दूर हैं हम और अपनों का साथ भी नहीं है हमारे पास। बस आज ही भारत पहुँचे हैं, पहुँचते ही कई पोस्ट्स और कॉमेंट्स पढ़े, दिल ऐसा ख़ुश हुआ कि क्या बताएँ । भारत आकर एक दिन पहले का दैनिक जागरण हाथ लग गया ( १० मई ) और उसमें आपकी एक पोस्ट भी 'जीवन एक केमिस्ट्री' पढने को मिल गई, तो सोचे आपको बधाई दे दें।<br />बहुत बहुत बधाई आपको !<br />हम तो कोमेंट कर रहे हैं लेकिन कोमेंट नहीं हो पा रहा है, इसलिए ईमेल से स्वीकार कीजिये।<br />आभार ! <br />स्वप्न मञ्जूषा 'अदा'<br />amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-44439339025229890192013-05-10T07:58:59.998+05:302013-05-10T07:58:59.998+05:30आज दस मई के दैनिक जागरण में फिर से कालम में जीवन ए...आज दस मई के दैनिक जागरण में फिर से कालम में जीवन एक केमिस्ट्री शीर्षक से आपकी यह पोस्ट प्रकाशित है, बधाईनुक्कड़https://www.blogger.com/profile/00641159955741972638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-17070809014915085782013-04-29T11:48:42.924+05:302013-04-29T11:48:42.924+05:30विज्ञानं भी भावनायों जुडी है -बहुत अच्छा प्रस्तुति...विज्ञानं भी भावनायों जुडी है -बहुत अच्छा प्रस्तुति <br />डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को <br />अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को<br />latest post<a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2013/04/blog-post_28.html#links" rel="nofollow">जीवन संध्या</a><br />latest post<a href="http://vichar-anubhuti.blogspot.in/2013/04/blog-post_27.html#links" rel="nofollow"> परम्परा</a><br />कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-16592853013512076792013-04-29T00:27:08.632+05:302013-04-29T00:27:08.632+05:30वाह! लाजवाब लेखन | आनंदमय और बहुत ही सुन्दर, सुखद ...वाह! लाजवाब लेखन | आनंदमय और बहुत ही सुन्दर, सुखद अभिव्यक्ति विचारों की | पढ़कर प्रसन्नता हुई | आभार <br /><br />कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें | <br /><a href="http://www.tamasha-e-zindagi.blogspot.in" rel="nofollow">Tamasha-E-Zindagi</a><br /><a href="http://www.facebook.com/tamashaezindagi" rel="nofollow">Tamashaezindagi FB Page</a><br />Tamasha-E-Zindagihttps://www.blogger.com/profile/01844600687875877913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-57283952555594559382013-04-28T17:22:37.531+05:302013-04-28T17:22:37.531+05:30आपने लिखा....हमने पढ़ा
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 2...आपने लिखा....हमने पढ़ा <br />और लोग भी पढ़ें; <br />इसलिए कल 29/04/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.in" rel="nofollow"> http://nayi-purani-halchal.blogspot.in </a> पर <br />आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....<br />धन्यवाद!<br />Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-83547340394086940082013-04-28T14:46:11.654+05:302013-04-28T14:46:11.654+05:30आपकी पोस्ट पर जब मैंने कमेन्ट में "अक्वारेजिय...आपकी पोस्ट पर जब मैंने कमेन्ट में "अक्वारेजिया" लिखा था तभी मैंने सोचा था इस पर कुछ लिखने को । हाँ! पता चला था आपने अच्छा prank किया था निवेदिता से । अब फर्स्ट क्लास रसायनशास्त्री ने उत्तीर्ण कर दिया मुझे ,तो फिर अब तो ठीक है ।amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-20979449691859478902013-04-28T14:37:48.688+05:302013-04-28T14:37:48.688+05:30अरे अमित जी आपको इस पोस्ट का चीफ़ गेस्ट हमको बनाना ...अरे अमित जी आपको इस पोस्ट का चीफ़ गेस्ट हमको बनाना था....<br />हमें लगा कि दो चार दिन पहले आपकी नाइट्रिक एसिड को हमने झटका दिया था उसके बाद कोई तोहफा तो हमें मिलना था :-)<br /><br />मज़ा आ गया पढ़ कर....लगा एक दो चेप्टर और लिख लिए जाएँ.<br /><br />सादर<br />अनु <br />M.Sc CHEMISTRY<br />1ST class<br />:-) ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-61733712372573832242013-04-28T08:15:03.377+05:302013-04-28T08:15:03.377+05:30ऐसा लग रहा है कि कैमिस्ट्री के विद्वान ने बहुत कुछ...ऐसा लग रहा है कि कैमिस्ट्री के विद्वान ने बहुत कुछ लिख दिया है, और हम वही कैमिस्ट्री से भागने वाले.. जिसके सर के ऊपर से सब निकल गया.. कभी सूत्र याद नहीं हुए.. बहुत मुश्किल होता था.. यह सबविवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-88998383869422318702013-04-28T07:15:04.572+05:302013-04-28T07:15:04.572+05:30वैज्ञानिक शब्दों की व्याख्या यूँ प्रेम और जीवन सम...वैज्ञानिक शब्दों की व्याख्या यूँ प्रेम और जीवन समझाने को..... बहुत बढ़िया है, समझ रहे हैं डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-18832090583260882582013-04-28T07:09:26.504+05:302013-04-28T07:09:26.504+05:30रसमय रसायन का शास्त्र. कभी इस तरह http://akaltara...रसमय रसायन का शास्त्र. कभी इस तरह http://akaltara.blogspot.in/2011/06/blog-post_25.html देखा था मैंने.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-86139070918998265512013-04-28T06:41:44.297+05:302013-04-28T06:41:44.297+05:30बोलिये बाबा अमितानंद की जय! बोलिये बाबा अमितानंद की जय! अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-61224153704599915922013-04-28T06:32:59.327+05:302013-04-28T06:32:59.327+05:30संबंधों की केमेस्ट्री हमें कभी समझ न आयी, हम तो सद...संबंधों की केमेस्ट्री हमें कभी समझ न आयी, हम तो सदा ही प्रेसीपिटेट होते आये हैं, चुपचाप नीचे पड़े पड़े।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com