tag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post5555946604670647118..comments2024-02-17T14:31:07.181+05:30Comments on "बस यूँ ही " .......अमित: " अखबार फेंकते, ये हॉकर्स ........."amit kumar srivastavahttp://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-42724391413458830032019-07-03T22:41:18.864+05:302019-07-03T22:41:18.864+05:30बिल्कुल सत्य लिखा है आपने। मुझे तो सरकारी स्कूल मे...बिल्कुल सत्य लिखा है आपने। मुझे तो सरकारी स्कूल में कई विद्यार्थी ही ऐसे मिल जाते हैं जो ये काम करते हैं। सच मे सम्मान के काबिल है ये लोग। आपका लेख सराहनीय है। Twinkle Tomar Singhhttps://www.blogger.com/profile/17288182361878828619noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-88618769972300741032016-09-16T08:51:54.577+05:302016-09-16T08:51:54.577+05:30वास्तव में आप बहुत संवेदनशील व्यक्ति हैं वरना अखबा...वास्तव में आप बहुत संवेदनशील व्यक्ति हैं वरना अखबार वालों के लिए कौन इतना सोच पाता है । बहुत् समझदारी होती है इनमें , सच सम्मान के काबिल हैं ये । Nalini Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/18392149477525130787noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-71978733597808132742013-12-09T08:15:27.512+05:302013-12-09T08:15:27.512+05:30एण्ड्रॉइड एप्प्स अब हॉकर्स की भी नौकरी के पीछे पड़े...एण्ड्रॉइड एप्प्स अब हॉकर्स की भी नौकरी के पीछे पड़े हैं। :-( Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-44689688748867567942012-09-28T07:30:48.283+05:302012-09-28T07:30:48.283+05:30हमारे यहां मिसराजी अखबार देते हैं। सुबह तीन बजे शु...हमारे यहां मिसराजी अखबार देते हैं। सुबह तीन बजे शुरु होती है। आंख का आपरेशन नहीं करवा पा रहे हैं। बताते हैं कि एक महीना लगेगा आंख ठीक होने में। इत्ते दिन में ग्राहक छूट जायेंगे। हाकर लम्बी बीमारी नहीं अफ़ोर्ड कर सकते। अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-38885129888631597082012-09-17T22:47:58.920+05:302012-09-17T22:47:58.920+05:30अखबार को एक-एक घर में पहुँचाने का काम वाकई बहुत मे...अखबार को एक-एक घर में पहुँचाने का काम वाकई बहुत मेहनत और सलीके का है। आपने बहुत सही तस्वीर पेश की।<br /><br />मेरे मन में जैन साहब की छवि उभर रही है जो जरा हटकर थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रावासों में अखबार बाँटते थे। जी.एन.झा हॉस्टेल के १३३ कमरों का अखबार दस से पन्द्रह मिनट लगते। साइकिल पर लदा भारी बोझ। एक बार में ग्राउन्ड फ़्लोर के अड़सठ कमरों का और दूसरी बार में फर्स्ट फ़्लोर के ६५ कमरों का अखबार उठाते और क्रम से डालते जाते। उनके कदम रुकते बिल्कुल नहीं थे और सबकी पसन्द का अखबार बिल्कुल सटीक कमरे के फाटक पर चोट करता गिरता जाता। जो छुट्टी पर गया हो उसका अखबार नहीं गिरता। पता नहीं कैसे उन्हें सबकुछ याद रहता था। ऐसा ही वे तीन चार छात्रावासों में करते- पीसीबी, एसएसएल, एनझा, ताराचन्द, हालैन्डहाल आदि। कहीं बाहर मिलने पर सबको पहचान भी जाते। यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। भोर में उठकर इतनी बड़ी ‘हॉकरी’ करने के बाद वे किसी ऑफ़िस में नौकरी भी करते थे। तभी तो सभी विद्यार्थी उन्हे सम्मान से ‘जैनसाहब’ कहते थे।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-42379688297876857002012-09-17T14:19:28.772+05:302012-09-17T14:19:28.772+05:30सटीक चित्र खीचा है आपने . उत्तरदायित्व और समर्पण क...सटीक चित्र खीचा है आपने . उत्तरदायित्व और समर्पण का अच्छा उदहारण .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-15413267999165437932012-09-17T13:11:10.330+05:302012-09-17T13:11:10.330+05:30वाकई सुबह बनाने में इन हॉकर्स का बहुत योगदान रहता ...वाकई सुबह बनाने में इन हॉकर्स का बहुत योगदान रहता है. जिस दिन अखबार न आये तो लगता है जैसे सुबह ही नहीं हुई.<br />बढ़िया पोस्ट है एकदम सुबह की तरह ताज़ा.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-79470449320776449542012-09-16T22:58:55.670+05:302012-09-16T22:58:55.670+05:30तेजी से साइकिल पर पैडल मारते पैर और दूसरे -तीसरे म...तेजी से साइकिल पर पैडल मारते पैर और दूसरे -तीसरे माले तक अखबार फेंकने में व्यस्त हाथ ...<br />बहुत दिनों से ऐसे दृश्य नहीं देखे....आपकी पोस्ट ने याद दिला दी .rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-9757842556557856672012-09-16T22:21:33.870+05:302012-09-16T22:21:33.870+05:30रोचक, सूझ भरी पोस्ट.रोचक, सूझ भरी पोस्ट.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-5574108355283086122012-09-16T18:24:37.342+05:302012-09-16T18:24:37.342+05:30बहुत अच्छा लिखा आपने ......मैंने भी कई बार सोचा है...बहुत अच्छा लिखा आपने ......मैंने भी कई बार सोचा है इनकी जिन्दगी के बारे में nayee duniahttps://www.blogger.com/profile/12166123843123960109noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-27926840316773396052012-09-16T14:57:11.596+05:302012-09-16T14:57:11.596+05:30सबको खबरें बाटते हैं ये हॉकर..सच से जोड़ते..सबको.....सबको खबरें बाटते हैं ये हॉकर..सच से जोड़ते..सबको..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-29834969211742255352012-09-16T12:53:43.662+05:302012-09-16T12:53:43.662+05:30एक नई सोच ..आपका हर लेख नई सोच लिए हुए रहता है :)...एक नई सोच ..आपका हर लेख नई सोच लिए हुए रहता है :)))Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-5954776193386409782012-09-16T12:20:50.228+05:302012-09-16T12:20:50.228+05:30हमें मोर्निंग वाक पर रोज एक बच्चा हॉकर मिलता है......हमें मोर्निंग वाक पर रोज एक बच्चा हॉकर मिलता है.....बिना हेडफोन के फुल वोल्यूम में गाने सुनता चलता है....बिंदास...<br />मुस्कुराता...खुश मिजाज़...और बहुत जल्दी में....<br />मुझे यकीन है उसे किसी आंटी की चिडचिड की कोई फ़िक्र नहीं होगी.<br />:-)<br /><br />सादर<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-56839004137984543762012-09-16T11:41:42.536+05:302012-09-16T11:41:42.536+05:30अखबार के हॉकरों की सुबह की दिनचर्या पर बहुत अच्छा ...अखबार के हॉकरों की सुबह की दिनचर्या पर बहुत अच्छा प्रकाश डाला है सर! यहाँ भी हाई स्कूल/इंटर के कुछ बच्चे अखबार डालते दिख जाते हैं। <br /><br /><br />सादर Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-85303212562968786402012-09-16T11:17:12.678+05:302012-09-16T11:17:12.678+05:30अखबार बांटते हुये अखबार वाले के मन की सोच को बखूबी...अखबार बांटते हुये अखबार वाले के मन की सोच को बखूबी लिखा है ... बढ़िया लेख संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-20578242733636249752012-09-16T10:12:27.082+05:302012-09-16T10:12:27.082+05:30अखबार बांटने वालों के प्रति के नया आयाम उभर कर साम...अखबार बांटने वालों के प्रति के नया आयाम उभर कर सामने आया है आपकी इस पोस्ट से ...निश्चित रूप से उनकी स्मरण शक्ति गजब की होती है ...!केवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.com