tag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post4405814637104893084..comments2024-02-17T14:31:07.181+05:30Comments on "बस यूँ ही " .......अमित: स्वयं जीवन का अंत, आखिर क्यों?amit kumar srivastavahttp://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-85391390352845598052013-06-02T23:49:38.677+05:302013-06-02T23:49:38.677+05:30.
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इंसान की मूल प्रकृति होती है हर हाल-परिस्थित....<br />.<br />.<br />इंसान की मूल प्रकृति होती है हर हाल-परिस्थिति में जीवन का आलिंगन... परीक्षा में कम नंबर आना तो बहुत छोटी बात है... लोग बाग दोनों पैर, देखने सुनने की क्षमता, परिजनों आदि आदि को गंवां देते हैं फिर भी जीते हैं और सार्थक जीते हैं... आत्महत्या की एक आम इंसान सोचता भी नहीं... कहा जाता है कि आत्महत्या करने की जो ठान लेता है उसे कोई रोक नहीं सकता... कॉलेज प्रशासन की यहाँ कोई गलती नहीं है और न ही वह इन घटनाओं को रोक सकता है... आत्महत्या की ठाने बैठे इंसान रोके नहीं जा सकते... उनका जल्दी जाना ही अच्छा है...<br /><br /><br />... प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8505231129291060059.post-88395822712984641472013-06-02T23:03:41.804+05:302013-06-02T23:03:41.804+05:30सही लिखा।
आई.आई.टी. में अब तो लगता है रिवाज सा हो ...सही लिखा।<br />आई.आई.टी. में अब तो लगता है रिवाज सा हो गया है साल में एक लफ़डे का। इस बारे में लिखी पोस्ट का लिंक।<br /><br />http://hindini.com/fursatiya/archives/468अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com