रविवार, 16 दिसंबर 2012

" भिखारी कौन..........."


लगभग एक घंटे की लम्बी लाइन में लगे रहने के पश्चात 'खाटू श्याम मंदिर' ,सीकर ,राजस्थान में दर्शन मिलने का नंबर आया | बहुत अच्छे दर्शन हुए प्रभु के | यह मंदिर बहुत सिद्ध मंदिर माना जाता है | इसके बाद हमने दर्शन किये ,'सालासर,बाला जी ,चुरू,राजस्थान' ,मंदिर में 'बाला जी' के | यह मंदिर भी जगत विख्यात है, अपनी आस्था के कारण और मनोकामना पूर्ण करने के रूप में |

दोनों स्थानों पर मंदिर से बाहर निकलते ही राजस्थानी वेश-भूषा में भीख मांगने वाली महिलाओं और छोटी छोटी लड़कियों ने घेर कर पैसे मांगने शुरू कर दिए | मैंने दो-चार को अभी कुछ दिया ही था कि पास से किसी की आवाज़ आई ,"यह मांगने वाले बहुत तंग करते हैं यहाँ , लाइन लगा कर खड़े रहते हैं और बिना लिए कुछ खिसकते नहीं " | मै मन ही मन सोचने लगा ,वही तो हम भी करते हैं , मांगने आते हैं और लाइन लगाए खड़े रहते हैं और उम्मीद से कहीं ज्यादा मांग लेते हैं और मिलता भी है | हाँ कोई दूसरा मांगते दिख जाए तो उसे 'भिखारी' कहते हैं , या ताना कसते हैं उस पर, कि कोई काम धाम करना चाहिए और हम स्वयं चाहते हैं कि ईश्वर हमें बिना प्रयास किये ही कोई चमत्कार कर हमारा प्रयोजन सिद्ध कर दें |

मैं मन ही मन स्वयं को भिखारी मान चुका था अब तक, और जितना भी संभव था मैं भरसक सभी को कुछ न कुछ दे चुका था | तभी एक औरत शायद बच गई थी ,वह पास आकर बोली ,"ऐ सेठ ,मुझे दे न कुछ " | मुझे अपने ऊपर शर्म आ गई , कैसा सेठ मै , मैं तो खुद ही भिखारी हूँ यहाँ ,मैं क्या किसी को दे पाऊँगा | हाँ जितनी सामर्थ्य प्रभु ने दी है ,उतनी सेवा अवश्य कर दूँगा | बहुत छोटे छोटे बच्चे वहां समूह बना घेर लेते हैं | बहुत अध्ययन करें तो समझ आता है कि यह भी एक समझा बूझा उद्योग है ,पर हम भी तो उद्योग-वश ही मंदिर जाते हैं | बस प्रभु से मांगो और जीते रहो |

मैं जब भी मंदिर जाता हूँ ,ऊहापोह में रह जाता हूँ , उस परम पिता से कुछ नहीं मांग पाता | दर्शन कर बस प्रभु से मौन संवाद कर लौट आता हूँ | पता नहीं कितना सही ,कितना गलत |

14 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ गलत नहीं ... यह मौन संवाद ही सब कुछ है !

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  2. अमित जी ये मौन और हल्की सी वाली मुस्कराहट कायम रहें ये ही बहुत है :)

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  3. जो प्रभु ने दिया, उसके लिए उन्हें धन्यवाद तथा अपने मन का सुक़ून... इससे ज़्यादा और क्या चाहिये जीवन में...

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  4. यह मौन संवाद ही असली संवाद होता है..

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  5. सच है ....मौन संवाद ही असली संवाद है ...हृदय से मांगा जाए .....प्रभु ज़रूर सुनते हैं ....!!

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  6. यह मौन संवाद कुछ मांगने से बहुत बेहतर है।

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  7. सबके मन में कुछ न कुछ तो बचा रहता है. माँगने के लिये...अपनों से...ईश्वर से।

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  8. मौन संवाद ही कीजिये ... ईश्वर को जो देना होगा स्वयं दे देंगे ...

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  9. मंदिर से निकला व्‍यक्ति, शायद ईश्‍वर का दूत जान पड़ता है.

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  10. मिलता तो वही है जो मिलना होता है ..मौन संवाद और अच्छी भावना ही काफी है.

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  11. मौन संवाद ही सही है, जो सबकुछ जानता है फिर भला उससे क्या कहना और क्या मांगना...

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  12. कुछ माँगने की जगह धन्यवाद कहने भी जाया जा सकता है,मंदिरों में

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